हिन्दू धर्म में ओम एक ‘विशेष ध्वनि’ का शब्द है।तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वन..
वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियां भारत में पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई हैं।इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियां बहुत ही म..
कुंती पुत्र अर्जुन को महाभारत के समय का सबसे बड़ा धनुर्धर माना गया है। ऐसा भी माना जाता है कि अर्जुन के पास अगर धनुष चलाने का कौशल नहीं होता तो पाण्डव शायद ही महाभारत युद्ध जीत पाते। साथ ही अधिकतर लोग..
भगवान सूर्य देव आदित्य, रवि, भानु आदि नामों से जाने जाते हैं।उनका तेज इस पूरी सृष्टि को प्रकाशित करता है, इनकी पत्नी का नाम अदिति और छाया है तथा उनके पुत्र शनि देव है जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता ह..
माता अंजनी से हनुमान के जन्म की कथा तो हम सब ने सुनी है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं की माता अंजनी किसी समय इंद्र के दरबार में पुंजिकस्थला नामक एक अप्सरा हुआ करती थी।ऐसा माना जाता है की एक बार पुजिंका..
महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है ।शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है ।स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर हमारे पास अक्सर बहुत से लो..
हिन्दू धर्म के अनुसार नरक वह स्थान है जहां पापी आत्मा को भोगने के लिए भेजा जाता है। दंड भोगने के पश्चात् पापी आत्मा का उसके कर्मानुसार उनका दूसरी योनियों में जन्म होता है।ऐसा माना जाता है की स्वर्ग धर..
विष्णु जी के वाहन गरुड़ और नागों की उत्तपत्ति के विषय में एक पौराणिक कथा है जिसका वर्णन महाभारत के आदि पर्व में मिलता है। महर्षि कश्यप की वैसे तो तेरह पत्नियां थी, किन्तु अपनी दो पत्नियों विनता और कद्..
बचपन से ही हम सब अपने घरों में एक प्रथा देखते आये हैं।हर शनिवार को शनिदेव को तेल अर्पित करने और उस तेल में अपने चेहरे को देखने की। जैसा कि हम देखते हैं की घर के बड़े धर्म से सम्बंधित जिन बातों का पालन..
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत ग्रंथ में अनेक महारथी व बलशाली राजाओं का वर्णन है। ऐसा ही एक महारथी राजा था जरासंध। उसके जन्म व मृत्यु की कथा भी बहुत ही रोचक है।जरासंध मगध (वर्तमान बिहार) का राजा ..
जगन्नाथ रथ यात्रा:-जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया में प्रारम्भ होती है। हिन्दू धर्म में यह यात्रा एक उत्सव की तरह मनाई जाती है, क्योकि अपने समस्त ..
महाभारत की कथा तो सभी जानते हैं, किन्तु उसमे कई सारी बातें ऐसी हैं जिनका रहस्य हम समझ नहीं पाते। समझेंगे भी कैसे हम तो साधारण मनुष्य हैं, और ईश्वर की लीलाएं तो स्वयं देवता भी नहीं समझ पाते।ऐसे ही एक र..