कनक धारा देवी लक्ष्मी का एक रूप है। "कनक" का अर्थ "धन" और "धारा" का अर्थ "प्रवाह" है, इस प्रकार कनकधारा का अर्थ है धन और भाग्य का निरंतर प्रवाह।इस पूजा की उत्पत्ति प्राचीन काल से है। कनक धारा स्तोत्रम..
सोलह संस्कार :-शास्त्रों के अनुसार मनुष्य जीवन के लिए कुछ आवश्यक नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हमारे लिए आवश्यक माना गया है। मनुष्य जीवन में हर व्यक्ति को अनिवार्य रूप से सोलह संस्कारों का पालन करन..
वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। इनकी अनदेखी करने पर उपयोगकर्ता की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि होना निश्चित रहता है। वास्तुदेवता की संतुष्टि गणेशजी की ..
भगवान सूर्य देव आदित्य, रवि, भानु आदि नामों से जाने जाते हैं।उनका तेज इस पूरी सृष्टि को प्रकाशित करता है, इनकी पत्नी का नाम अदिति और छाया है तथा उनके पुत्र शनि देव है जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता ह..
दस महाविद्या पूजा नारी शक्ति को हिंदू/वैदिक शास्त्रों के माध्यम से अपनी शक्ति और देवत्व के लिए जाना जाता है। दास महाविद्या में देवी माँ-शक्ति के १० अलग-अलग रूप शामिल हैं, जहाँ दस का अर्थ है दस, और महा..
कालसर्प योग क्या होता है?कालसर्प योग का नाम सुनते ही डर बैठ जाता है। इस दोष से पीड़ित जातक जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखता है। जातक महत्वाकांक्षी होते हुए भी पूर्ण सफलता से वंचित रह जाता है।राह..
हिंदू धरम शास्त्रों के अनुसार जब आप किसी भयंकर मुसीबत मैं फँस जाये तो गजेंद्र मोक्ष के पाठ करने से भगवान विष्णु आपको उस मुसीबत से बाहर निकल लेंगे जैसे उन्होंने गजेंद्र नाम के गज को मगरमछ के मुँह से बह..
यदि आप धन की इच्छा रखते है और आर्थिक तंगी से परेशान भी है या घर में धन रुक नहीं पा रहा है तो नियमित रूप से श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ करे निश्चित ही आपकी समस्याएं दूर हो जाएंगी। पुराणों में कनकधारा य..
हवन का शुभ प्रभाव न केवल व्यक्ति को ही बल्कि प्रकृति को भी लाभ पहुँचाता है यज्ञ तथा हवन कई प्रकार के होते हैं विज्ञान भी मानता है कि हवन में बोले गये मंत्र अग्नि प्रज्वलित और धुएं से होने वाले प्राकृ..
शनिवार को करें नारियल का ये उपायहर शनिवार को एक नारियल लेकर किसी हनुमान मंदिर जाएं। मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के सामने नारियल को अपने सिर पर सात बार वार लें।इस दौरान हनुमानजी के मंत्र (ऊँ रामदूताय..
हिन्दू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता की पूजा की अलग-अलग पद्धतियां हैं।पूजा में अलग-अलग सामग्री का उपयोग किया जाता है। कुछ सामग्री ऐसी होती हैं, जिनका प्रयोग करना उलटा परिणाम भी दे सकता है। ऐसा भगवान शि..
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्तअमावस्या तिथि आरंभ: 9 जून 2021, बुधवार की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट सेअमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, गुरुवार की शाम 04 बजकर 22 मिनट तक हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का..