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Bhakti_Sangrah RSS Feed

08 Dec मंदोदरी की कहानी - एक मेंढकी कैसे बनी रावण की पत्नी
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पुलस्त्य ऋषि के पुत्र और महर्षि अगस्त्य के भाई महर्षि विश्रवा ने राक्षसराज सुमाली और ताड़का की पुत्री राजकुमारी कैकसी से विवाह किया था। कैकसी के तीन पुत्र और एक पुत्री थी- रावण, कुम्भकर्ण, विभीषण और स..
04 Dec नक्षत्र और उनके स्वामी
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भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कुल मिला कर 28 नक्षत्रों कि गणना है, तथा प्रचलित केवल 27 नक्षत्र है।उसी के आधार पर प्रत्येक मनुष्य के जन्म के समय नामकरण होता है. अर्थात मनुष्य का नाम का प्रथम अक्षर किसी ना..
04 Dec भस्म आरती : एक अनोखी परंपरा
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भस्म आरती : एक अनोखी परंपराभगवान् महाकाल की विभिन्न पूजाओं तथा आरतियों में भस्म आरती का अपना अलग महत्व है. यह अपने तरह की एकमात्र आरती है जो विश्व में सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में ही की जाती है...
03 Nov क्या होता है पंचक (Panchak)
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पंचक को हिंदू पंचाग में बेहद ही अशुभ काल का दर्ज़ा मिला है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान शुभ कार्य से निषेध होना चाहिए। ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों ..
02 Mar Radha Rani Laage |  राधा रानी लागे | 8D Audio यमुनाजी तो कारी कारी राधा गोरी गोरी
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Subscribe us on YoutubeEnjoy the lyrics here :यमुनाजी ताे कारी कारी राधा गोरी गोरी |वृन्दावन में धूम मचावे बरसाने री छोरी |व्रज्धाम राधाजी की राजधानी लागे ||राजधानी लागेमने कारो कारो यमुनाजी रो पानी ल..
09 Feb जानिए भगवान शिव के विभिन्न नामों के यह रहस्य आपको अचरज में डाल देंगे, पढ़ें पौराणिक राज !!
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भगवान शिव को अनेकों नाम से जाना जाता है।‘शिव’ शब्द का अर्थ है ‘कल्याण’। शिव ही शंकर है। ‘शं’ का भी अर्थ है ‘कल्याण’; कर का अर्थ है–करने वाला, अर्थात् कल्याण करने वाला। पुराणों में भगवान शिव के अनेक ना..
15 Jan प्रसन्न करें शिव को
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हिन्दू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता की पूजा की अलग-अलग पद्धतियां हैं।पूजा में अलग-अलग सामग्री का उपयोग किया जाता है। कुछ सामग्री ऐसी होती हैं, जिनका प्रयोग करना उलटा परिणाम भी दे सकता है। ऐसा भगवान शि..
29 Apr जानिये कहाँ विराजे हैं हनुमान जी अपने पत्नी के साथ
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तेलंगाना में है बजरंग बली की पत्नी का मंदिर तेलंगाना के खम्‍मम जिले में हनुमान जी और उनकी पत्‍नी सुर्वचला की पूजा होती है। यहां पर बना यह पुराना मंदिर सालों से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है।स्‍थानी..
09 May वट सावित्री व्रत, इन 5 चीजों के बिना अधूरी रहेगी पूजा, जानें उत्तम पूजा मुहूर्त एवं विधि
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वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्तअमावस्या तिथि आरंभ: 9 जून 2021, बुधवार की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट सेअमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, गुरुवार की शाम 04 बजकर 22 मिनट तक हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का..
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