हवन का शुभ प्रभाव न केवल व्यक्ति को ही बल्कि प्रकृति को भी लाभ पहुँचाता है यज्ञ तथा हवन कई प्रकार के होते हैं विज्ञान भी मानता है कि हवन में बोले गये मंत्र अग्नि प्रज्वलित और धुएं से होने वाले प्राकृतिक लाभ की भी पुष्टि करता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि हवन से निकली हुई अग्नि व उसमें आहुति के लिये प्रयोग की गई सामग्री वातावरण के रोगाणु और विषाणुओं को नष्ट कर देती है प्रदूषण को मिटाने के लिये भी ये सहायक होती है उसकी सुगंध मन में उत्पन्न थकाव व तनाव को नष्ट कर देती है।

हवन के लाभः-

क्या आप यह जानते हैं कि हवन में इस्तेमाल हुई कुछ सामग्रियां ऐसी हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभदायक होती हैं।

हवन में 12 ऐसी चमत्कारी सामग्री होती हैं जिनके द्वारा कई रोग ठीक हो जाते हैं ऋषि मुनियों तथा हमारे पूर्वजों के अध्ययन के अनुसार यह माना जाता है कि हवन में प्रयोग की गई सामग्री से उठने वाले धुएँ से मनुष्यों के नाक आँख फेंफड़ों के साथ साथ वातावरण की भी शुद्धि हो जाती है।

शोध संस्थानों के अनुसार हवन वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाता है तथा हमारी सेहत के लिये भी फायदेमंद है हवन में उठे धुएँ से संजीवनी शक्ति का संचार होता है।

ऋग्वेद में भी इस बात का ज़िक्र किया गया है कि हवन के द्वारा हमें कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है, हवन में ज़रूरी है आध्यात्मिक शुद्धता जिससे कि हवन की पवित्रता भी बनी रहे और सेहत में भी सुधार रहे।

हवन में स्वच्छता का पूरा ख्याल रखना चाहिये ।

हवन में आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाना चाहिये, नीम, बेल पलाश का पौधा, देवदार की जड़, कलीगंज, पीपल की छाल और तना, गूलर की छाल और पत्ती, आम की पत्ती और तना, बेर, जामुन की कोमल पत्ती, तिल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा की जड़, चावल, लौंग, कपूर, मुलैठी की जड़, ब्राम्ही, शक्कर, जौ, घी, तिल, इलायची, लोभान, गूगल, इलायची तथा अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है।

गोबर से बने हुए उपले भी हवन की सामग्री में उपयोग किये जाते हैं, लगभग सभी जीवाणुओं का नाश होता है, प्रत्येक घर में शुद्धि तथा स्वास्थ्य के लिये हवन करना परम आवश्यक है, हवन में मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है अतः कोई भी मंत्र घर को शुद्धि प्रदान करता है।

स्वास्थ्य के लिये लाभकारी है हवनः-

हवन में अक्सर आम की लकड़ियों का ही प्रयोग किया जाता है जब आम की लकड़ी को जलाया जाता है तो उसमें से एक लाभकारी गैस उत्पन्न होती है वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया तथा जीवाणु भी हवन के द्वारा समाप्त हो जाते हैं और वातावरण भी शुद्ध हो जाता है, एक रिसर्च के द्वारा ये बताया गया है कि हवन में बैठने से उसका धुआँ शरीर में लेने से टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग को उत्पन्न करने वाले कीटाणु शरीर से समाप्त हो जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है, अगर यह हवन किसी देवता के पूजन के लिये किया जा रहा है तो यह सबसे उत्तम पूजा मानी जायेगी।

हवन का महत्वः-

हिन्दु सनातन धर्म में हवन और यज्ञ को पूजा का सबसे अच्छा मार्ग बताया गया है सदियों से ऋषि मुनियों ने हवन व यज्ञ द्वारा ही भगवान को प्रसन्न किया है ।

यज्ञ का दूसरा नाम अग्निहोत्र भी है अग्नि ही यज्ञ का देवता है हवन में डाली गई सामग्री आहुति सीधे भगवान के पास जाती है, हवन के धुएं से वातावरण शुद्ध होता है, हविष्य, हवि, हव्य ये वह पदार्थ हैं जो हवन कुण्ड अथवा अग्नि में डाले जाते हैं, समिधा का अर्थ है वह लकड़ी जिसे यज्ञ में डाला जाता है यह लकड़ी शमी के पेड़ की होती है इसमें हेमन्त, आम, बिल्व, पीपल, खैर बड़ नामक लकड़ियाँ भी प्रयोग में आती हैं।

हवन की पवित्र अग्नि को हम प्रभु के श्री चरणों तक पहुँचाते हैं, हवन में फल, शहद, घी, काष्ठ आदि वायुमण्डल को स्वच्छ बनाते हैं अतः यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी है, हवन करने वाले तथा आसपास के व्यक्तियों को भी लाभ पहुँचाता है, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है।

धार्मिक ग्रंथों एंव पुराणों में यज्ञ और हवन की अग्नि को परमात्मा का मुख माना गया है इसमें जो भी आहुति दी जाती है उसे ब्रह्मभोज कहते हैं धर्म ग्रंथों के अनुसार किसी मनोकामना की पूर्ति के लिये या बुरी घटना टालने के लिये हवन या यज्ञ किये जाते हैं ।

हवन इंसानों तथा प्रकृति दोनों के लिये लाभकारी है, एक रिसर्च के द्वारा पता चला है कि हवन का धुआँ वातावरण में लगभग 30 दिनों तक रहता है और इस बीच वायु में कोई भी जहरीले कीटाणु नहीं पनप पाते, धुआँ न ही मनुष्य के लिये लाभकारी है बल्कि खेती बाड़ी में भी यह काफी असरदार सिद्ध हुआ है खेतों में मौजूद कीटाणु इसमें नष्ट हो जाते हैं, हमें दी जाने वाली दवाओं की तुलना में यज्ञ व हवन का धुआँ अधिक फायदेमंद होता है इससे शरीर में पनप रहे कीटाणु खत्म हो जाते हैं जबकि दवाओं का कोई न कोई दुष्परिणाम अवश्य होता है हवन सामग्री पदार्थ के मिश्रण से एक विशेष प्रकार का गुण बन जाता है यह जलने से वायुमंडल में एक विशेष प्रभाव प्रदान करता है हालांकि यह सिद्ध नहीं हुआ है परन्तु देखा गया है कि कई प्रकार से हवन का प्रयोग भगवान को खुश करके वर्षा कराने के लिये भी किया जाता है।

यज्ञ तथा हवन लगभग एक समान हैं पर हवन यज्ञ का ही छोटा स्वरूप है, पूजा या जाप आदि के बाद अग्नि कुंड में दी जाने वाली आहुति को हवन कहते हैं।

हवन सह परिवार किया जाता है और अकेले भी, यज्ञ हमेशा किसी खास उद्देश्य से ही किया जाता है ये एक प्रकार का अनुष्ठान है, हवन में आहुति, देवता वेद मंत्र, ऋत्विक तथा दक्षिणा दी जाती है, हिन्दु धर्म में ये शुद्धीकरण करने का कर्म है, हवन में प्रयोग की जाने वाली लकड़ी सड़ी गली घुन लगी गीली या सीली हुई नहीं होनी चाहिये, श्मशान के वृक्षों की लकड़ी का प्रयोग भी हवन में नहीं किया जाता, पेड़ की जिन डालों पर परिंदों का डेरा हो उन लकड़ियों का भी प्रयोग हवन में नहीं करना चाहिये, जंगल और नदी के किनारे लगे वृक्षों की लकड़ी हवन के लिये सबसे उत्तम कही गई है अतः हवन मनुष्य जीवन के लिये सकारात्मक दृष्टिकोण से लाभकारी है।