हिन्दू पंचांग के अनुसार रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। रंगभरी या आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ शिवजी की पूजा भी की जाती है। यह साल की एक मात्र ऐसी एकादशी है जिस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है।

रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ की पवित्र नगरी वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। 

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में वैदिक नामक एक नगर था, जहां चैत्ररथ नामक चंद्रवंशी राजा राज्य करते थे। नगरवासी बहुत ही प्रसन्न थे। इस नगर में सभी लोग विष्णु जी के भक्त थे और एकादशी का व्रत किया करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन सभी भक्तजन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और रात्रि जागरण कर रहे थे, तभी वहां एक महापापी और दुराचारी शिकारी आया। वह भी वहां रुककर भगवान विष्णु की कथा तथा एकादशी का महात्म्य सुनने लगा। इस प्रकार उस शिकारी ने अपनी पूरी रात जागरण करते हुए व्यतीत की। अगले दिन वह घर गया और भोजन करके सो गया। कुछ दिनों बाद ही उस बहेलिया का निधन हो गया।




इस रूप में लिया अगला जन्म

शिकारी के पापों के कारण उसे नरक भोगना पड़ता, लेकिन उसने अनजाने में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनी थी और जागरण भी किया था, इसलिए उसने राजा विदूरथ के घर जन्म लिया और उसका नाम वसुरथ रखा गया। एक दिन वसुरथ जंगल में भटक गया और एक पेड़ के नीचे सो गया। उस पर कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया, लेकिन उनके अस्त्र-शस्त्र का राजा पर कोई असर नहीं हुआ और राजा सोते रहे।

जब राजा की नींद खुली तो उन्होंने पाया कि कुछ लोग जमीन पर मृत पड़े हुए हैं। उन्हें देखकर राजा समझ गए कि वह उसे मारने आए थे। तभी आकाशवाणी हुई कि हे राजन भगवान विष्णु ने तेरी जान बचाई है। तुमने पिछले जन्‍म में आमलकी एकादशी की व्रत कथा सुना था और यह उसी का फल है।


क्या करें इस एकादशी पर 

रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और विष्णुजी को अबीर-गुलाल से जीभर कर होली खिलाएं। इस दिन दोनों भगवानों के साथ फूलों की होली खेलने के बाद स्वयं भी परिवार, मित्रों के साथ फूलों की होली खेलें। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और शिवजी को केसर का तिलक अवश्य लगाएं और फिर स्वयं भी लगाएं। इससे सुख समृद्धि का वास होता है और लग्जरी लाइफ प्राप्त होती है। इस एकादशी के दिन इस बार पुष्य नक्षत्र भी आ रहा है इसलिए यह दिन स्वर्णाभूषण खरीदने का विशेष दिन है।