हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है। दृक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 24 मार्च की रात्रि में होलिका जलाई जाएंगी और अगले दिन यानी 25 मार्च को होली मनाई जाएगी।

इस वर्ष होली के दिन चंद्रग्रहण का संयोग है।होली के त्योहार के दौरान चंद्रग्रहण का होना, अक्सर चर्चा और अध्ययन उत्पन्न करता है। हालाँकि, यह सिर्फ एक छाया ग्रहण ह।  जिनको ग्रहण की मान्यता नहीं दी गयी है|इस प्राकृतिक घटना के आसपास के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है।

चंद्रग्रहण और उपछाया चंद्रग्रहण में अंतर जानिए

ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।

उपछाया चंद्रग्रहणका प्रभाव

उपछाया चंद्रग्रहणको ग्रहण की मान्यता होने के कारण, सूतक मान्य नई होगाअथवा ग्रहण के नियम लागू नई होंगेतथाइसका प्रभाव होली के त्योहार पर नहीं पड़ेगा, इसलिए आप बिना किसी चिंता के होली का त्योहार मना सकते हैं.